हैशबैक का मतलब है खरीदारी के बाद आपका कुछ पैसा वापस मिलना। चाहे ऑनलाइन शॉपिंग हो या बिल भुगतान, सही तरीके से इस रिवॉर्ड को पकड़ना बड़ी बचत बन सकता है। अक्सर लोग ऑफ़र देख कर ही छोड़ देते हैं, लेकिन अगर आप थोड़ा समय देकर हर लेन‑देन पर हैशबैक चेक करें, तो साल में हज़ारों रुपए बचा सकते हैं।
सबसे पहले दिखते हैं वो प्लेटफ़ॉर्म जो लगातार हैशबैक देते हैं – जैसे कॅशबैक ऐप्स, क्रेडिट कार्ड और बैंकिंग ऐप्स। इनकी सदस्यता मुफ्त या कम शुल्क वाले प्लान से मिलती है। उदाहरण के तौर पर, टॉप 5 ऐप्स में बकाया रिवॉर्ड को तुरंत ट्रांसफर या वाउचर में बदलने की सुविधा है, जिससे आप अपनी अगली खरीदारी में भी इस्तेमाल कर सकते हैं।
दूसरा स्रोत है ई‑कॉमर्स साइट्स के मौसमी ऑफ़र। फ्राइडे या ब्लैक फ्राइडे जैसी सेल में अक्सर दो‑तीन गुना हैशबैक मिलता है। अगर आप अपनी खरीदारी की लिस्ट पहले से बना लें और फिर इस समय में शॉप करें, तो आपको वही सामान कम कीमत पर मिल जाएगा, साथ ही रिवॉर्ड भी वापस आएगा।
ट्रिक नंबर 1 – एक ही खरीदारी पर कई हैशबैक चैनल इस्तेमाल करें। उदाहरण के लिए, एक क्रेडिट कार्ड से पेमेंट करने के बाद, उसी ट्रांजेक्शन को कॅशबैक ऐप में रजिस्टर कर दें। कई मामलों में दोनों जगह रिवॉर्ड मिलेगा, क्योंकि सिस्टम अलग‑अलग ट्रैक करता है।
ट्रिक नंबर 2 – रिफ़रल कोड डालना न भूलें। बहुत सारे ऐप्स नए यूज़र को रिवार्ड देने के साथ-साथ रिफ़रर को भी बोनस देते हैं। आप अपने दोस्तों को कोड भेजें और दोनों को अतिरिक्त हैशबैक मिल सकता है।
ट्रिक नंबर 3 – कैशबैक वैधता पर नजर रखें। कुछ ऑफ़र 30 दिन में एक्सपायर हो जाते हैं, इसलिए रिवॉर्ड मिलते ही उसे वॉलेट में ट्रांसफर या उपयोग कर दें। नहीं तो आपका पैसा बिन फायदा के फंसा रहेगा।
ट्रिक नंबर 4 – बड़ी‑बड़ी बिलों पर हैशबैक का फायदा उठाएँ, जैसे मोबाइल रिचार्ज, बिजली और गैस बिल। इन बिलों पर भी कई बैंक कॅशबैक दे रहे हैं, और अक्सर रिवॉर्ड प्रतिशत सामान्य खरीदारी से ज़्यादा होता है।
ट्रिक नंबर 5 – साल भर के हैशबैक कैशफ्लो को एक जगह ट्रैक रखें। एक्सेल या सरल नोट‑ऐप में डेट, रिवार्ड प्रतिशत और एक्सपायरी डेट लिखें। इससे आपको पता रहेगा कौन सा ऑफ़र अभी सक्रिय है और कितना बचत हो रहा है।
आखिर में, हैशबैक सिर्फ अतिरिक्त पैसा नहीं, बल्कि आपके खर्च को कम करने का स्मार्ट तरीका है। ऊपर दिए गाइड को फॉलो करके आप आसानी से हर महिने कुछ न कुछ बचा पाएँगे। बस ध्यान रखें, सही ऐप चुनें, ऑफ़र ज़रूर पढ़ें और समय पर रिवॉर्ड का उपयोग करें।
7 लाख के बजट में अब हैचबैक, सेडान और माइक्रो-एसयूवी तक मिल रही हैं। मारुति स्विफ्ट, टाटा टियागो, ऑल्टो K10, ग्रैंड i10 निओस, बलेनो, अल्ट्रोज़ जैसे विकल्प मौजूद हैं। सेडान में डिज़ायर, ऑरा, टिगोर, और एसयूवी में पंच, मैग्नाइट, काइगर, ट्राइबर, एक्सटर दिखते हैं। MG कॉमेट EV भी एंट्री-लेवल इलेक्ट्रिक विकल्प है। खरीद से पहले माइलेज, सेफ्टी, सर्विस नेटवर्क और ऑन-रोड कीमत ज़रूर देखें।
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