जमुनी‑कश्मीर के न्यायाधीशों के बारे में अक्सर सवाल आते हैं – कौन नया बनता है, किसे ट्रांसफर किया जाता है, या कौन सा फैसला हमारे रोज़मर्रा की ज़िंदगी को प्रभावित करता है। इस लेख में हम साफ़-साफ़ समझेंगे कि न्यायाधीश कैसे चुने जाते हैं, उनका काम क्या है, और आप उनके निर्णयों को कहाँ से फ़ॉलो कर सकते हैं। पढ़ते रहिए, जानकारी हरेक पैराग्राफ़ में है।
हाईकोर्ट राज्य के सबसे बड़े न्यायालय है। यहाँ पर आप फ़ौजदारी, सिविल, नागरिक अधिकार और संवैधानिक मामलों की सुनवाई कर सकते हैं। हाईकोर्ट के फैसले सीधे नागरिकों की जिंदगी को असर करते हैं – चाहे वह जमीन का विवाद हो या सार्वजनिक सेवाओं की कमी से जुड़ा मामला। न्यायाधीश इन मामलों की सुनवाई करते हैं, साक्ष्य देखते हैं और फिर कानून के हिसाब से निर्णय देते हैं।
हाईकोर्ट की कार्यवाही दो तरह से देखी जा सकती है – कोर्ट के आधिकारिक वेबसाइट पर लिखित कारण पढ़कर या टीवी चैनलों पर लाइव स्ट्रीम देख कर। अगर आप मामले की अपडेट चाहते हैं तो "न्यायालय सूचना" सेक्शन पर सब्सक्राइब कर सकते हैं।
न्यायाधीश बनने के लिए कुछ ख़ास कदम होते हैं। सबसे पहले, उम्मीदवार को वकालत (लॉ) की डिग्री और कम से कम 10 साल का अनुभव चाहिए। फिर, सुप्रीम कोर्ट के साथ-साथ दो‑तीन वरिष्ठ न्यायाधीशों की सिफ़ारिश होती है। इस सिफ़ारिश को राज्य के गवर्नर और प्रधानमंत्री की मंज़ूरी मिलनी चाहिए। आखिर में, राष्ट्रपति औपचारिक रूप से नियुक्ति करते हैं।
कभी‑कभी ट्रांसफर भी होते हैं – एक राज्य से दूसरे राज्य में न्यायाधीश को बदलना। ट्रांसफर का कारण अक्सर उच्चतम न्यायालय की बेंच की जरूरत या विशिष्ट केस हैंडलिंग की क्षमता होती है।
आपको यह जानकर आश्चर्य नहीं होगा कि हर साल कुछ नए नाम हाईकोर्ट में आते हैं। अगर आप स्थानीय समाचार पत्र या "सिटिजन न्यूज" जैसे पोर्टल पर नज़र रखेंगे तो तुरंत पता चल जाएगा कौन से न्यायाधीश नया बन गए।
अंत में, एक बात याद रखिए – न्यायाधीश सिर्फ कोर्ट रूम में नहीं, बल्कि समाज में भी बड़े बदलाव लाते हैं। उनका फैसला अक्सर नीतियों को आकार देता है, इसलिए उनके काम को समझना हर जिम्मेदार नागरिक के लिये ज़रूरी है। अगर आप किसी केस में हैं या बस जानकारी चाहते हैं, तो कोर्ट की वेबसाइट, सिटिजन न्यूज और स्थानीय खबरों को फ़ॉलो करना सबसे आसान तरीका है।
अब आप जानते हैं कि जम्मू‑कश्मीर के न्यायाधीश कैसे चुने जाते हैं, उनका काम क्या है और आप उनके निर्णयों को कैसे ट्रैक कर सकते हैं। अगली बार जब कोई नया न्यायाधीश बनता है, तो इस लेख को दोबारा पढ़िए – शायद आपका सवाल पहले ही उत्तर मिल गया होगा।
इस ब्लॉग में हमने दो वर्षों में चौथी बार, केंद्र सरकार द्वारा J&K के न्यायाधीश के लिए कोलेजियम के नाम को खारिज करने के मामले का विवेचन किया है। यह बात उजागर करती है कि सरकार ने क्यों और कैसे इस कदम को उठाया। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसे समझने की आवश्यकता है, खासकर जब जम्मू और कश्मीर के न्यायिक प्रणाली की बात होती है। इस मुद्दे को गहराई से समझने के लिए, हमने इसे विस्तार से चर्चा किया है। यदि आप इस मुद्दे को और अधिक समझना चाहते हैं, तो इस ब्लॉग को पढ़ें।
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