विदेशी डॉक्टर बनना चाहते हैं? यहाँ से शुरू करें

बहुतेरे मेडिकल ग्रेजुएट्स का सपना होता है विदेश में काम करने का। लेकिन कहाँ से शुरू करें, कौन‑से कदम ज़रूरी हैं, अक्सर सवाल बने रहते हैं। इस गाइड में हम बात करेंगे कि भारतीय डॉक्टर को विदेश में नौकरी पाने के लिए क्या‑क्या करना पड़ेगा, कौन‑सी तैयारी करनी चाहिए और काम शुरू करने के बाद क्या चुनौतियाँ आ सकती हैं।

सबसे पहले: अपनी क्वालिफ़िकेशन को मान्य करवाएँ

हर देश का अपना मेडिकल रजिस्ट्रेशन सिस्टम है। यूके में General Medical Council (GMC) या ऑस्ट्रेलिया में Australian Health Practitioner Regulation Agency (AHPRA) जैसी बोर्डों को आपका मेडिकल डिग्री और इंटर्नशिप मान्य होनी चाहिए। इस प्रक्रिया में आमतौर पर आपके सर्टिफ़िकेट की कॉपी, इन्ट्रा‑स्कूल प्रैक्टिस, भाषा परीक्षण (जैसे IELTS या OET) और कभी‑कभी एक एंट्रेंस एग्ज़ाम देना पड़ता है।

भाई, इस चरण में घबराओ मत। अधिकांश देशों की वेबसाइट पर स्टेप‑बाय‑स्टेप गाइड रहती है। आप अपनी डॉक्टरेट की कॉपी को ‘अप्रूव्ड ट्रांसलेशन’ करवा कर, फिर उनसे जुड़ी फीस जमा करके आगे बढ़ सकते हैं।

कौन‑से देश सबसे आसान हैं?

अब बात करते हैं उन देशों की जहाँ भारतीय डॉक्टरों को अक्सर नौकरी मिलती है। यूके, ऑस्ट्रेलिया, कतर, सिंगापुर और जर्मनी शीर्ष विकल्प हैं। यूके में ‘शॉर्ट‑टर्म डिप्लोमा’ या ‘हॉस्पिटैलिटी इंटर्नशिप’ के जरिए शुरुआत कर सकते हैं। कतर जैसे जलते‑विलास वाले देश में बहुत सारे प्राइवेट हॉस्पिटल्स हैं, जो ‘स्क्रम पे’ (भुगतान) के साथ तेज़ वीज़ा प्रोसेस देते हैं।

अगर आप अपना फ्यूल करियर बनाना चाहते हैं तो ऑस्ट्रेलिया का ‘इंटर्नशिप प्रोग्राम’ और जर्मनी का ‘भाषा‑परिवर्ती कोर्स’ आपके लिए सही रहेगा। इन देशों में शुरुआती सैलरी 50‑70 हज़ार यूरो/ऑस्ट्रेलियाई डॉलर के आसपास शुरू होती है और अनुभव के साथ 100 हज़ार से ऊपर भी जाती है।

ध्यान रहे, हर देश की वीज़ा नीति बदलती रहती है। इसलिए आवेदन करने से पहले आधिकारिक इमिग्रेशन साइट पर अपडेट देखना ज़रूरी है।

अब बात करते हैं कुछ प्रैक्टिकल टिप्स की, जो आपका प्रोसेस तेज़ कर सकते हैं:

  • इंग्लिश या स्थानीय भाषा में चतुराई से बात कर सकें – IELTS 7 बैंड या OET ‘B’ से ऊपर होना चाहिए।
  • एक अच्छा CV बनाएं: पढ़ाए गए विषय, रिसर्च, इंटर्नशिप और कोई सर्टिफ़िकेट (जैसे Advanced Cardiac Life Support) लिखें।
  • LinkedIn या मेडिकल जॉब पोर्टल (जैसे Seek, NHS Jobs) पर प्रोफ़ाइल एक्टिव रखें।
  • कॉन्टैक्ट को ठीक रखें – कई बार हॉस्पिटल रेफरल से जल्दी नौकरी मिलती है।
  • वीज़ा के लिये फाइनैंशल प्रोफ़ाइल तैयार रखें: बैंक स्टेटमेंट, प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट आदि।

एक बार नौकरी मिल जाए, तो काम के साथ साथ नई संस्कृति को समझना जरूरी है। काम के कॉम्प्लेक्स में अक्सर शिफ्ट्स लेट‑नाईट होते हैं, इसलिए फ़िज़िकल फ़िटनेस और मेन्टल हेल्थ का ख़याल रखें। कई डॉक्टर बताते हैं कि स्थानीय खाने की आदतें, मौसम और सामाजिक अलगाव शुरुआती महीनों में चुनौतियाँ बनते हैं। इनसे निपटने के लिए आप नोटिस बॉर्ड, एक्सरसाइज़ ग्रुप या भारतीय कम्युनिटी सेंटर्स में जुड़ सकते हैं।

संक्षेप में, विदेश में डॉक्टर बनना कठिन नहीं, बस सही योजना और सही दस्तावेज़ चाहिए। पहले क्वालिफ़िकेशन मान्य कराएँ, भाषा टेस्ट पास करें, फिर वीज़ा और लाइसेंस प्रक्रिया पूरी करें। एक बार यह हो गया, तो आप अपने करियर को ग्लोबल लेवल पर ले जाने के लिए तैयार हैं।

आशा है ये गाइड आपके लिए मददगार रहेगा। अगर कोई सवाल रहे तो ‘कमेंट’ सेक्शन में लिखें, हम ज़रूर जवाब देंगे। आपके विदेश सपने को सच करने में ‘नागरिक समाचार’ हमेशा साथ है।

/bharatiya-doktara-ke-lie-amerika-mem-jivana-kaisa-hai 23 जुलाई 2023

भारतीय डॉक्टर के लिए अमेरिका में जीवन कैसा है?

अमेरिका में भारतीय डॉक्टरों का जीवन अत्यंत व्यस्त और उत्कृष्ट होता है। वे अपने क्षेत्र में बेहतरीन शिक्षा और प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं जो उन्हें अपनी योग्यताओं को और अधिक निखारने में सहायता करती है। वहां के उच्चतम आय के साथ, वे आरामदायक जीवन जीने में सक्षम होते हैं। हालांकि, वे अक्सर भारतीय संस्कृति और परंपराओं की कमी महसूस करते हैं। फिर भी, वे अमेरिकी समाज में समानता और स्वतंत्रता का आनंद लेते हैं।

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