2 वर्षों में 4वीं बार, केंद्र सरकार ने J&K के न्यायाधीश के लिए कोलेजियम के नाम को खारिज किया?

जुल॰, 18 2023

न्यायिक नियुक्तियों पर केंद्र सरकार की विवादित नीति

दोस्तों, अगर हमें भारतीय संविधान के नियमों और प्रावधानों को देखें तो उसमें स्पष्ट रूप से लिखा है कि राज्यों के उच्च न्यायालयों के न्यायाधीश की नियुक्ति केंद्रीय सरकार करती है। इसमें कोलेजियम सिस्टम का भी महत्वपूर्ण योगदान होता है। लेकिन केंद्रीय सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए कोलेजियम के नाम को खारिज कर दिया जाना, यह एक बहुत ही गंभीर मुद्दा है।

कोलेजियम सिस्टम क्या है?

दोस्तों, आपमें से कई लोगों को कोलेजियम सिस्टम के बारे में नहीं पता हो सकता। इसलिए, मैं आपको इसके बारे में बताना चाहूंगा। कोलेजियम सिस्टम एक ऐसा सिस्टम है जिसमें उच्चतम न्यायिक पदों की नियुक्ति का निर्णय एक कोलेजियम यानी एक समूह द्वारा लिया जाता है। इसमें प्रमुखतः केंद्रीय न्यायिक सर्वोच्च न्यायाधीश और चार सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश शामिल होते हैं।

केंद्र सरकार का विवादित निर्णय

दोस्तों, जैसा कि मैंने पहले भी कहा, केंद्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए कोलेजियम के नाम को खारिज करने का निर्णय एक अत्यंत विवादास्पद और चिंताजनक मामला है। यह निर्णय न केवल न्यायिक नियुक्तियों के मानकों को चुनौती देता है, बल्कि यह संविधानीय तत्वों और न्यायिक स्वतंत्रता को भी खतरे में डालता है।

न्यायिक स्वतंत्रता का प्रश्न

न्यायिक स्वतंत्रता का मतलब होता है कि न्यायिक प्रक्रिया और न्यायिक निर्णय किसी भी प्रकार के बाहरी दबाव या प्रभाव से मुक्त हो। जब केंद्र सरकार न्यायाधीशों के नाम को खारिज करती है, तो उससे न्यायिक स्वतंत्रता में संदेह होता है।

संविधानीय मानदंडों की उल्लंघना

केंद्र सरकार द्वारा जम्मू और कश्मीर के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के लिए कोलेजियम के नाम को खारिज करने का निर्णय भारतीय संविधान की आत्मा के विपरीत है। संविधान के अनुसार, केंद्र सरकार को न्यायिक नियुक्तियों में हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है।

आगे का रास्ता

अगर हम कानूनी और संविधानीय दृष्टिकोण से इस मामले को देखें, तो केंद्र सरकार को अपने इस निर्णय को विचार करना चाहिए। यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि न्यायिक नियुक्तियों में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे। साथ ही, न्यायिक स्वतंत्रता का भी पूरा ख्याल रखना चाहिए।