8वीं वेतन आयोग की मंजूरी: 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों के लिए 1 जनवरी, 2026 से लागू 28 अक्तूबर 2025
रवि अभिनव 0 टिप्पणि

केंद्रीय सरकार के 50 लाख से अधिक कर्मचारियों और 60 लाख पेंशनधारियों के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सामने आया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाले केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 16 जनवरी, 2025 को 8वीं केंद्रीय वेतन आयोग (CPC) के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) को मंजूरी दे दी। इसका मतलब है कि अगले 18 महीनों में एक नया वेतन ढांचा तैयार होगा, जिसका लागू होना 1 जनवरी, 2026 से होगा — यही तारीख अब देश भर के सरकारी कर्मचारियों के लिए एक नया लक्ष्य बन गई है।

आयोग की संरचना: न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देशाई की अगुवाई

आयोग की अध्यक्षता न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देशाई, भारतीय सर्वोच्च न्यायालय की एक वरिष्ठ न्यायाधीश, करेंगी। इसके साथ ही प्रोफेसर पुलक घोष आयोग के आंशिक सदस्य बने हैं, जबकि पंकज जैन, केंद्रीय तेल और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के सचिव, दैनिक कार्यों के लिए सदस्य-सचिव के रूप में नियुक्त किए गए हैं। यह एक अनूठा संयोजन है — एक न्यायिक विशेषज्ञ, एक अर्थशास्त्री और एक प्रशासनिक नेता। इससे आयोग को न केवल आर्थिक बल्कि न्यायपालिका के दृष्टिकोण से भी देखने का मौका मिलता है।

आयोग का गठन अगले हफ्ते होने की संभावना है, जिसके बाद वह अपने निष्कर्ष तक लगभग 6 से 12 महीने का समय ले सकता है। लेकिन यहां की बात यह है कि सरकार ने स्पष्ट किया है कि आयोग के निष्कर्षों का लागू होना 1 जनवरी, 2026 से होगा — चाहे रिपोर्ट कितनी भी देर से आए। यह एक ऐसा निर्णय है जिसने कर्मचारी संघों को बड़ी खुशी दी है।

वेतन वृद्धि का अनुमान: 14% से 34% तक

एक मध्यस्तरीय कर्मचारी, जिसका वर्तमान बेसिक पेमेंट ₹1 लाख है, उसके लिए वेतन वृद्धि का अनुमान अलग-अलग है। यह सिर्फ फिटमेंट फैक्टर पर निर्भर नहीं, बल्कि सरकार के बजट आवंटन पर भी।

  • अगर बजट आवंटन ₹1.75 लाख करोड़ हो — तो वेतन ₹1.14 लाख तक पहुंच सकता है (14% वृद्धि)
  • ₹2 लाख करोड़ आवंटन पर — ₹1.16 लाख (16% वृद्धि)
  • ₹2.25 लाख करोड़ आवंटन पर — ₹1.18 लाख और उससे भी अधिक (18%+ वृद्धि)

फिटमेंट फैक्टर का अनुमान 1.83 से 3.00 तक बताया जा रहा है। लेकिन अधिकांश विश्लेषकों का मानना है कि यह 2.28 के आसपास रहेगा — जिससे न्यूनतम बेसिक पेमेंट ₹41,000 से बढ़कर ₹51,480 तक पहुंच सकता है। यह एक असली बदलाव है।

दर्जनों भत्तों का एकीकरण: DA का बेसिक में विलय

यहां का सबसे बड़ा बदलाव यह है कि दर्जनों भत्ते — खासकर दैनिक भत्ता (DA) — को बेसिक पेमेंट में शामिल कर दिया जाएगा। अगर अनुमान सही है, तो जनवरी 2026 तक DA 70% तक पहुंच जाएगा। अब यह 70% बेसिक के साथ जुड़ जाएगा। इसका मतलब है कि एक कर्मचारी का असली वेतन अब बेसिक प्लस भत्ते के बजाय, बेसिक में एकीकृत होगा।

इसके साथ ही HRA (आवास भत्ता), TA (परिवहन भत्ता), और अन्य भत्ते भी नए बेसिक के आधार पर फिर से गणना किए जाएंगे। यह एक बड़ा आर्थिक लाभ होगा — क्योंकि भत्ते अब बेसिक के साथ बढ़ेंगे, न कि अलग से।

आयोग की जिम्मेदारियां: केवल वेतन नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का विश्लेषण

यह आयोग सिर्फ वेतन बढ़ाने के लिए नहीं बना। इसके पांच बड़े लक्ष्य हैं:

  1. देश की आर्थिक स्थिति और वित्तीय सावधानी की आवश्यकता
  2. विकास और कल्याण योजनाओं के लिए पर्याप्त संसाधनों की व्यवस्था
  3. गैर-योगदान वाली पेंशन योजनाओं की अनुदानित लागत
  4. राज्य सरकारों के बजट पर इसका प्रभाव
  5. केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों की वेतन संरचना की तुलना

यह बहुत गहरा विश्लेषण है। यह सिर्फ एक वेतन वृद्धि नहीं, बल्कि यह पूछ रहा है: क्या हम अपने कर्मचारियों को उतना ही दे सकते हैं जितना निजी क्षेत्र देता है? क्या हम अपने पेंशनरों के लिए भविष्य में भी जिम्मेदार रह सकते हैं?

7वीं आयोग के बाद क्या हुआ? एक दशक का अनुभव

7वीं वेतन आयोग को 2016 में लागू किया गया था। उसके बाद से देश ने दो बार DA में बड़ी वृद्धि देखी — 2020 के बाद कोविड के बाद और फिर 2023 में। लेकिन बेसिक पेमेंट में कोई बड़ा बदलाव नहीं हुआ। इस बार, आयोग का मकसद यह है कि यह अंतिम बार न हो।

पिछले आयोग — 4वां, 5वां और 6वां — हर एक का टर्म 10 साल का था। लेकिन अब समय कम हो गया है। सिर्फ 18 महीने में एक ऐसा निर्णय लेना है जो 10 साल तक चलेगा। यह एक भारी जिम्मेदारी है।

भविष्य क्या है? राज्य सरकारें क्या करेंगी?

अगर केंद्र सरकार ने वेतन बढ़ाया, तो राज्य सरकारें भी अपने कर्मचारियों के लिए इसका अनुसरण करेंगी। यह एक डोमिनो इफेक्ट होगा। लेकिन यहां की बात यह है कि अधिकांश राज्यों के बजट पहले से ही तनावग्रस्त हैं। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और बिहार जैसे राज्यों के पास अपने कर्मचारियों के लिए इतना बजट नहीं है।

क्या यह आयोग राज्यों के लिए एक आर्थिक बोझ बन जाएगा? यह अभी तक कोई जवाब नहीं है। लेकिन एक बात स्पष्ट है — यह आयोग सिर्फ एक वेतन वृद्धि नहीं, बल्कि भारत के सार्वजनिक प्रशासन के भविष्य का एक नया आधार बन रहा है।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

8वीं वेतन आयोग का लागू होना कब से होगा?

आयोग के निष्कर्ष जब भी आएंगे, उनका लागू होना 1 जनवरी, 2026 से होगा। यह एक रिट्रोस्पेक्टिव लागू होगा, जिसका मतलब है कि कर्मचारियों को इस तारीख से शुरू होने वाली वेतन वृद्धि का पूरा लाभ मिलेगा, चाहे रिपोर्ट देर से आए।

दर्जनों भत्ते का बेसिक में विलय क्यों किया जा रहा है?

DA 70% तक पहुंचने के बाद यह अलग भत्ता बनने की बजाय बेसिक में शामिल कर दिया जा रहा है। इससे वेतन संरचना सरल होगी और भविष्य में भत्तों के बारे में अलग से चर्चा करने की आवश्यकता नहीं होगी। यह एक लंबे समय के लिए स्थिरता लाने का रास्ता है।

क्या यह वेतन वृद्धि निजी क्षेत्र के कर्मचारियों को भी प्रभावित करेगी?

हां, अप्रत्यक्ष रूप से हां। निजी कंपनियां अक्सर सरकारी वेतन संरचना को अपने वेतन निर्धारण के लिए रेफरेंस बनाती हैं। अगर सरकार ने 30% वृद्धि की, तो बड़ी निजी कंपनियां भी अपने कर्मचारियों को इसके अनुरूप वेतन बढ़ाने की ओर बढ़ सकती हैं।

क्या इस आयोग का राज्य सरकारों पर बोझ पड़ेगा?

बिल्कुल। राज्य सरकारें अपने कर्मचारियों के लिए केंद्र के फैसले का अनुसरण करेंगी, लेकिन उनके बजट पहले से ही तनावग्रस्त हैं। कुछ राज्यों के पास इस लागत को वहन करने के लिए पर्याप्त संसाधन नहीं हैं — यह एक आर्थिक चुनौती बन सकती है।

पेंशनधारियों को कितना लाभ मिलेगा?

60 लाख पेंशनधारियों को भी वेतन वृद्धि के समान अनुपात में लाभ मिलेगा। चूंकि पेंशन बेसिक पेमेंट पर आधारित है, इसलिए जितना बेसिक बढ़ेगा, उतना ही पेंशन बढ़ेगा। यह एक बड़ी राहत होगी, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी पेंशन अभी भी बहुत कम है।

क्या आयोग अंतरिम रिपोर्ट भी दे सकता है?

हां, आयोग को अगर किसी तत्काल समस्या — जैसे कि भत्तों की अचानक बढ़ोतरी या किसी विशेष वर्ग के लिए असमानता — का सामना करना पड़े, तो वह अंतरिम रिपोर्ट भी दे सकता है। यह एक लचीला ढांचा है, जो तेजी से बदलती आर्थिक स्थिति के अनुकूल है।