
जब इंडियन मेटीओरॉलॉजिकल डिपार्टमेंट (IMD) ने 5 अक्टूबर से नई दिल्ली-एनसीआर में भारी बारिश की चेतावनी जारी की, तब से ही मौसम के शौकीनों के बीच हलचल मच गई है। विभाग ने बताया कि अगले दो दिनों में पूरे पूर्वी और केंद्रीय भारत में तीव्र से अत्यंत तीव्र वर्षा होगी, जबकि दिल्ली में 5‑6 अक्टूबर को हल्की बूँदों से शुरू होकर 6 अक्टूबर की शाम‑रात तक तेज़ बरसात और 30‑40 किमी/घंटा (कुछ स्थानों पर 50 किमी/घंटा तक) की तेज़ हवाएँ चलेंगी। इस बदलाव का सीधा असर तापमान पर पड़ेगा—6 अक्टूबर को दिन के समय अधिकतम 31‑33 °C तक गिरना उम्मीद है, जो सामान्य से 2‑3 °C कम है।
प्रवर्तित मौसम पूर्वानुमान और उसके मुख्य बिंदु
IMD के विस्तृत मॉडल के अनुसार, 3‑4 अक्टूबर को दिल्ली‑एनसीआर में मौसम अपेक्षाकृत शांत रहेगा, अधिकतम तापमान 33‑36 °C और न्यूनतम 24‑26 °C के साथ हल्की धूप और कुछ बादल रहेंगे। लेकिन 5 अक्टूबर की शाम से हवाओं की दिशा बदलते ही बर्तन (moisture) का संगम शुरू हो जाता है, जिससे बादलों की मोटाई घटती है और बारिश के क्लस्टर बनते हैं। 6 अक्टूबर को पूरे नहरों में तेज़ बालीवार (thunderstorms) के साथ अतिरक्त (gusty) हवा चलने की संभावना है, जबकि रात में तापमान 23‑25 °C तक गिर सकता है।
- भारी बरसात के क्षेत्र: ओडिशा, आंध्र प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, जम्मू‑कश्मीर, उत्तराखंड
- अत्यधिक तेज़ हवाएँ: ओडिशा में 73 km/h तक दर्ज
- सामान्य तापमान गिरावट: उत्तर‑पश्चिम भारत में 2‑4 °C नीचे
- सप्ताह के अंत में सबसे कम न्यूनतम तापमान: 11.2 °C (उना, हिमाचल प्रदेश, 9 अक्टूबर)
- अधिकतम तापमान रिकॉर्ड: 38.0 °C (बस्ती, उत्तर प्रदेश, 9 अक्टूबर)
भारी बारिश के कारण और विशेषज्ञों की राय
मौसम विज्ञान में अक्सर दो प्रमुख नमी स्रोतों का टकराव बरसात को प्रज्वलित करता है। महेश पॉलावत, मौसम विज्ञानी जिन्होंने स्काइमेट वेदर सर्विसेज में काम किया है, बताते हैं कि 2 अक्टूबर को ओडिशा के पास बंगाल की खाड़ी से पूर्वी दिशा की नम पदार्थी हवाएँ और अरब सागर से उत्तर‑पश्चिम दिशा की जलवायु हवाएँ दिल्ली‑हरियाणा की सीमा पर मिल गईं। “जब ये दो धारा मिलती हैं तो हवा में नमी का स्तर आसमान छू जाता है, जिससे पहाड़ों में तेज़ बरसात और नीचे के मैदानी इलाकों में हल्की‑मध्यम बारिश होती है,” उन्होंने कहा। उन्होंने यह भी जोड़ा कि “जम्मू‑कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखण्ड में बर्फ़ीली पहाड़ों पर घातक बाढ़ और क्लाउड‑बर्स्ट की संभावना है, जबकि दिल्ली, पंजाब, हरियाणा जैसे उत्तरी मैदानों में मध्यम बारिश हो सकती है।”
पॉलावत की भविष्यवाणी के अनुसार, 9 अक्टूबर से पश्चिमी और उत्तर‑पश्चिमी हवाओं का दबाव कम होने पर नमी घटेगी और तापमान धीरे‑धीरे नीचे गिरता रहेगा, जिससे शहरों में ठंड की शुरुआत होगी।
प्रभावित क्षेत्रों में मौजूदा स्थिति
ऑडिशा में 2 अक्टूबर को गॉपलपुर के पास एक डिप्रेशन ने किनारे को छूते ही बहुत भारी बारिश लायी, कुछ जगहों पर 150 mm से अधिक वर्षा दर्ज हुई। उसी समय दक्षिणी सहारा (अध्र प्रदेश) के तटवर्ती भागों में भी तीव्र बारिश हुई, जहाँ समुद्री बंधन (coastal) क्षेत्रों में 80‑100 mm की बारिश और 73 km/h तक की तेज़ हवाएँ चल रही थीं। पश्चिमोत्तर भारत के कोंकण, गुजरात‑कच्छ और सौराष्ट्र‑कुंच में भी बूँदाबाँदी जारी थी, जिससे सड़कों पर जलभराव और ट्रैफ़िक बाधित हो रहा है।
हिमाचल प्रदेश में आज़ी तक भारी बर्फ़ीला पानी जमा हो चुका है; उना में 11.2 °C की न्यूनतम तापमान ने इस वर्ष के सबसे ठंडे दिन की घोषणा कर दी। जम्मू‑कश्मीर में जलप्रपात (cloud burst) के कारण कई छोटी-छोटी बाढ़ें आईं, लेकिन अभी तक बड़ी हानियों की सूचना नहीं मिली। उत्तरी मैदानों में पंजाब और हरियाणा में 2‑4 mm की फुर्तीली बारिश ने मौसम को थोड़ा ठंडा कर दिया, जबकि दिल्ली में 5 अक्टूबर की शाम को हल्की बारिश शुरू हुई, जिसका केंद्र 6 अक्टूबर की रात तक बना रहेगा।

जनता और प्राधिकरणों की तैयारियां
IMD ने विशेष रूप से उन क्षेत्रों को सावधानी बरतने की सलाह दी है, जहाँ जल निकासी की व्यवस्था कमजोर है। दिल्ली में डाक्टरों ने एयर क्वालिटी (AQI) 123 रहने के कारण सावधानी की चेतावनी जारी की, जबकि मेट्रो और बस कंपनियों ने संभावित जलज stoppage को ध्यान में रखते हुए ट्रैक और सड़कों की सफ़ाई बढ़ा दी। हरियाणा और पंजाब के जिलों में स्थानीय प्रशासन ने निचले क्षेत्रों में पानी जमा होने पर बचाव टीमों को तैनात कर दिया है।
सहायता संगठनों ने भी राहत सामग्री तैयार कर रखी है; पानी का टैंकर, फ्रीज और एटीएम मशीनों के लिए वैकल्पिक पावर सप्लाई स्थापित की गई है। लोग अपने घरों में कुकिंग गैस और ड्राए फूड रखने के लिए तैयार हैं, क्योंकि अचानक तूफ़ान बिजली कटौती का कारण बन सकता है।
आगे की संभावनाएँ और मौसम विज्ञानियों की भविष्यवाणी
IMD ने बताया कि 16 अक्टूबर को जारी विस्तारित पूर्वानुमान के अनुसार, 15 अक्टूबर तक के सप्ताह में उत्तर‑पश्चिम और मध्य भारत में अधिकतम तापमान सामान्य से 2‑4 °C कम रहेगी, जबकि न्यूनतम तापमान 1‑3 °C तक गिर सकता है। इस अवधि में पूरे देश में औसत वर्षा -25 % से कम रहने की संभावना है, जिससे कृषि क्षेत्र को चिंता हो सकती है।
मौसम विशेषज्ञों का मानना है कि इस वर्ष की पोस्ट‑मॉनसून सीज़न (1‑15 अक्टूबर) में कुल वर्षा औसत से 25 % तक कम रहेगी, इसलिए जल स्तर में गिरावट और जल आपूर्ति की समस्या उत्पन्न हो सकती है। वहीं, उत्तर‑पूर्वी बाढ़‑प्रवण क्षेत्रों में अचानक जलभराव की संभावना बनी रहेगी, इसलिए निगरानी जारी रहेगी।
सारांश में, 5‑6 अक्टूबर की दो‑तीन‑दिन की बारिश से दिल्ली‑एनसीआर के अलावा कई राज्यों में जल‑संबंधी आपातकालीन स्थितियों के लिए तैयार रहना आवश्यक है। जनता को सुझाव दिया जाता है कि सुरक्षित स्थानों पर रहने, तेज़ हवाओं में बाहर निकलने से बचने और स्थानीय अधिकारियों के निर्देशों का पालन करने से ही नुकसान को कम किया जा सकता है।
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
दिल्ली में इस बारिश से कौन‑कौन प्रभावित होंगा?
मुख्यतः कम उम्र के बच्चे, बुढ़ा लोग और सड़क पर रहने वाले विकलांग लोग एयर क्वालिटी घटने और जलभराव से ज्यादा प्रभावित होंगे। परिवहन के बढ़ते बोझ के कारण रोज़मर्रा की यात्रा में देरी हो सकती है, इसलिए सार्वजनिक सेवाओं की तैयारियों पर नज़र रखनी चाहिए।
ओडिशा में अब तक कितनी तेज़ हवाएँ दर्ज हुई हैं?
गॉपलपुर के पास डिप्रेशन ने 2 अक्टूबर की रात में 73 km/h तक की तेज़ हवाओं को दर्ज किया, जिससे कई तटीय गाँवों में टोरनाडो जैसी स्थितियाँ पैदा हुईं। स्थानीय प्रशासन ने तुरंत बचाव टीमें तैनात कर दी हैं।
बाढ़ के जोखिम को कम करने के लिए लोग कौन‑सी तैयारियां कर सकते हैं?
घर के निचले हिस्सों को ऊँचा करना, जलरोधक बैरियर्स लगाना और आवश्यक दस्तावेज़ों की इलेक्ट्रॉनिक कॉपी सुरक्षित रखना मददगार रहेगा। साथ ही, जलभरण वाले क्षेत्रों से दूर सुरक्षित उच्च स्थानों पर अस्थायी आश्रय स्थापित करना फायदेमन्द है।
मौसम विभाग की आगे की भविष्यवाणियां क्या कहती हैं?
IMD ने बताया कि 9‑10 अक्टूबर तक उत्तरी भारत में पश्चिमी हवाओं के असर से नमी घटती रहेगी, जिससे तापमान धीरे‑धीरे 2‑3 °C और गिर सकता है। साथ ही, पोस्ट‑मॉनसून में कुल वर्षा औसत से 25 % तक कम होने की संभावना है, जिससे कृषि उत्पादन पर असर पड़ सकता है।
क्या ट्रैफ़िक और सार्वजनिक परिवहन पर असर पड़ेगा?
दिल्ली‑एनसीआर में भारी बारिश और जलभराव के कारण प्रमुख राजमार्गों पर ट्रैफ़िक जाम की संभावना है। मेट्रो और बस सेवाओं ने कुछ स्टेशन बंद कर रखे हैं, इसलिए यात्रियों को वैकल्पिक मार्गों या देर तक यात्रा करने की तैयारी करनी चाहिए।