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केंद्रीय सरकार की नई पहल, राज्य‑स्तर के चुनाव परिणाम, या संसद में चल रहे बहस—इन सबको हम रोज़ अपडेट करते हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने जम्मू‑कश्मीर के न्यायाधीश के नाम पर कोलेजियम की सिफ़ारिश को दो साल में चार बार खारिज किया, यह मुद्दा देश में गहरा चर्चा का कारण बना। हम ऐसे प्रमुख मुद्दों को आसानी से समझाने की कोशिश करते हैं, ताकि आप बिना जटिल कानूनी शब्दों के मूल बात समझ सकें।
अगर आप राजनीति के पीछे छुपे कारणों में रुचि रखते हैं, तो हमारा विश्लेषण आपके काम का होगा। हम सवाल उठाते हैं—जैसे, सरकार ने यह कदम क्यों उठाया? क्या इससे न्यायिक स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा? ऐसी बातों को सरल भाषा में बताकर हम आपको सूचित नागरिक बनाते हैं।
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तो देर किस बात की? नीचे स्क्रॉल करके सबसे नई पोस्ट पढ़ें—जैसे “2 वर्षों में 4️⃣वीं बार, केंद्र सरकार ने J&K के न्यायाधीश के लिए कोलेजियम के नाम को खारिज किया?” ऐसी ख़बरों पर गहराई से नज़र डालें और समझें क्यों यह आपके जीवन को प्रभावित कर सकता है।
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इस ब्लॉग में हमने दो वर्षों में चौथी बार, केंद्र सरकार द्वारा J&K के न्यायाधीश के लिए कोलेजियम के नाम को खारिज करने के मामले का विवेचन किया है। यह बात उजागर करती है कि सरकार ने क्यों और कैसे इस कदम को उठाया। यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण मुद्दा है जिसे समझने की आवश्यकता है, खासकर जब जम्मू और कश्मीर के न्यायिक प्रणाली की बात होती है। इस मुद्दे को गहराई से समझने के लिए, हमने इसे विस्तार से चर्चा किया है। यदि आप इस मुद्दे को और अधिक समझना चाहते हैं, तो इस ब्लॉग को पढ़ें।
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